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गोचर्म
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cowhide
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গোচর্ম
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গৰুৰ চামৰা
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गो चर्म
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गायेचें चामडें
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मोसौ बिगुर
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گٲو دالہٕ
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பசுத்தோல்
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കാലിത്തോല്
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ଗୋରୁଚମଡ଼ା
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ఆవుచర్మము
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ਗਾਂ ਦਾ ਚੱਮੜਾ
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ગોચર્મ
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ಆಕಳಿನ ಚರ್ಮ
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धर्मसिंधु - सिनीवाली व कुहू जननशान्ति
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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उत्तर पर्व - अध्याय १६४
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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अक्षरारंभ संस्काराचा विधि
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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अध्याय एकोणीसावा - श्लोक १०१ ते १५०
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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नासिकेतोपाख्यान - अध्याय २०
महीपति महाराजांनी कथन केलेली नासिकेत ग्रंथावली साधु तुकाराम महाराजांनी लिहून घेतली .
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प्रथम पाद - ध्वजारोपणकी विधि
` नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द- शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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उत्तरभागः - अध्यायः ४१
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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प्रायश्चित्तमयूख - प्रायश्चित्त २४ वे
विधिविहित नित्यकर्म (संध्यादि) न केल्यामुळे, पाप केल्याने व सुरा इत्यादि निषिद्ध पदार्थांचे सेवन केल्यानें त्याच्या शुद्धिसाठी जें कर्म सांगण्यात येतें तें प्रायश्चित्त होय.
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गो
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